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सोमवार, मई 17, 2010

लेख पोस्ट होने के 10 मिनट के अन्दर 8 Negative वोट ! थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है!

भाई क्या कहूँ बनें चला था ब्लॉगर और सोचा था मैं अपनी कलम चलाऊंगा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ सच के लिए, लेकिन क्या करें वर्तमान मीडिया की तरह मुझे भी टी आर पी का रोग लग गया. एक तरफ जहाँ मीडिया टी आर पी के लिए कुछ भी दिखाने के लिए तत्पर दिखाई देती हैं, EZAJ AHMAD IDREESI भी इस भेंड चाल में शामिल हो गए.

आज सुबह जब इस ख़याल से ब्लोगवाणी खोली कि कुछ नया मिलेगा तो हमेशा की तरह "नाम लिया शैतान हाज़िर" वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सलीम ख़ान से रिलेटेड  मुझे ये पोस्ट दिखी.

इस पोस्ट में वही सब कुछ था जो मैंने अपने पिछली पोस्ट को अपने नज़रिए से पेश किया था कि कैसे सलीम ख़ान को ब्लोगवाणी ने सुरेश चिपलूनकर को एक साथ प्रदर्शित किया लेंकिन इसे अबकी पोस्ट किया किसी खातून ने. उन्होंने सलीम ख़ान को मिले नकारात्मक नापंसद के चटकों (-8) के ज़ख्मों पर कुछ मरहम लगाने का काम किया था. मैं उस पोस्ट की वह झलकी पेश कर रहा हूँ जो आपमें ज़रूर उत्सुकता पैदा करेगी. 

मुझे ख़ुशी है कि ब्लॉग जगत के साथियों ने मेरी उस अपील पर पूरा पूरा ध्यान दिया और सलीम ख़ान के उस पोस्ट पर जो कि श्रीराम सेना के प्रधान मुथ्लिक के खिलाफ़ लिखी गयी थी, नकारात्मक वोट देने की मेरी अपील पर अमल किया. धन्यवाद नकारात्मक वोट देने वालों भाईयों अथवा बहनों !!! मैं आपसे फ़िर से आग्रह करता हूँ कि सलीम कुछ भी लिखे आप उसके पोस्ट पर आँख मूंद कर नापंसद का चटका लगाईये.... 

अबकी बार सलीम की पोस्ट पर 10 मिनट में -8 चटका लगा था और क्या मज़ा आयेगा जब मात्र 5 मिनुत में आप लोग (और मैं भी) -16 चटके लगा दें.

तो जवाब दीजिये कौन-कौन मेरे साथ है.

15 पाठकों ने अपनी राय व्यक्त की:

kunwarji's ने कहा…

sath to ham hai aapke shrimaan!
par koi bataaye to ye (-ve) wala chatka lagaate kaise hai...

kunwar ji,

बलबीर सिंह (आमिर) ने कहा…

मैं भी 10 मिनट तेरे जैसो को निबटा दूं एक बार मेरी किश्‍ती मैं आ तो जा मुझे भी एक बार अपना मान ले

honesty project democracy ने कहा…

क्या पता इसकी जरूरत ही ना परे /

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

kunwar jee main mail ke zariye batata hoon ki kaise - vote dete hain

Khursheed ने कहा…

ab bahut ho gaya EJAZ babu, Saleem ke khilaaf likhna band kar do nahin to main apnee qalam khol dunga. Ek baar Suresh Chiplunkar ki waat lagaya tha ru ek baar Rachna (naari waali) ki

KHURSHEED

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

खुर्शीद आखिर तुम अपने आप को समझते क्या हो . मेरे साथ सुरेश चिपलूनकर है फिरदौस जी हैं और महफूज़ अली है और तो और मेरे साथ पूरा का पूरा राष्ट्रवादी विचारधारा का ब्लॉग जगत है तुम्हारे पास क्या है सिर्फ सलीम.

samiuddeenreporter ने कहा…

baqwaas

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

गुलों से ख़ार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं ।
ध्यान रहे कि नफ़रत भी मुहब्बत का ही एक रूप होती है ।
माइनस का ही सही , ये क्या कम है कि चटका तो लगा रहे हैं ।
मुझे तो एक बार 13 माइनस वोट दिए थे । ख़ैर आप खुद को नेगेटिव थिंकिंग से हद भर बचायें
और लोगों को सच्चे मालिक की तरफ़ , कल्याण की तरफ़ बुलायें ।

बेनामी ने कहा…

ध्यान रहे कि नफ़रत भी मुहब्बत का ही एक रूप होती है ।

Khursheed ने कहा…

पढ़े लिखे लोग ज्यादा एक्सट्रीमिस्ट होते हैं

बेनामी ने कहा…

मैं भी 10 मिनट तेरे जैसो को निबटा दूं एक बार मेरी किश्‍ती मैं आ तो जा मुझे भी एक बार अपना मान ले

Saleem Khan ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Saleem Khan ने कहा…

सही कहा आपने डॉ अनवर जमाल साहब

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।

Kumar Jaljala ने कहा…

लो आ गया जलजला
वे ब्लागर जो मुझे टिप्पणी के तौर पर जगह दे रहे हैं उनका आभार. जो यह मानते हैं कि वे मुफ्त में मुझे प्रचार क्यों दें उनका भी आभार. भला एक बेनामी को प्रचार का कितना फायदा मिलेगा यह समझ से परे हैं.
मैंने अपने कमेंट का शीर्षक –लो आ गया जलजला रखा है। इसका यह मतलब तो बिल्कुल भी नहीं निकाला जाना चाहिए कि मैं किसी एकता को खंडित करने का प्रयास कर रहा हूं। मेरा ऐसा ध्येय न पहले था न भविष्य में कभी रहेगा.
ब्लाग जगत में पिछले कुछ दिनों से जो कुछ घट रहा है क्या उसके बाद आप सबको नहीं लगता है कि यह सब कुछ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं होने की वजह से हुआ है. आप अपने घर में बच्चों से तो यह जरूर कहेंगे कि बेटा अब की बार इस परीक्षा में यह नबंर लाना है उस परीक्षा को तुम्हे क्लीयर करना ही है लेकिन जब खुद की परीक्षा का सवाल आया तो सारे के सारे लोग फोन के जरिए एकजुट हो गए और पिल पड़े जलजला को पिलपिला बताने के लिए. बावजूद इसके जलजला को दुख नहीं है क्योंकि जलजला जानता है कि उसने अपने जीवन में कभी भी किसी स्त्री का दिल नहीं दुखाया है। जलजला स्त्री विरोधी नहीं है। अब यह मत कहने लग जाइएगा कि पुरस्कार की राशि को रखकर स्त्री जाति का अपमान किया गया है। कोई ज्ञानू बाबू किसी सक्रिय आदमी को नीचा दिखाकर आत्म उन्नति के मार्ग पर निकल जाता है तब आप लोग को बुरा नहीं लगता.आप लोग तब सिर्फ पोस्ट लिखते हैं और उसे यह नहीं बताते कि हम कानून के जानकार ब्लागरों के द्वारा उसे नोटिस भिजवा रहे हैं। क्या इसे आप अच्छा मानते हैं। यदि मैंने यह सोचा कि क्यों न एक प्रतिस्पर्धा से यह बात साबित की जाए कि महिला ब्लागरों में कौन सर्वश्रेष्ठ है तो क्या गलत किया है। क्या किसी को शालश्रीफल और नगद राशि के साथ प्रमाण देकर सम्मानित करना अपराध है।
यदि सम्मान करना अपराध है तो मैं यह अपराध बार-बार करना चाहूंगा.
ब्लागजगत को लोग सम्मान लेने के पक्षधर नहीं है तो देश में साहित्य, खेल से जुड़ी अनेक विभूतियां है उन्हें सम्मानित करके मुझे खुशी होगी क्योंकि-
दुनिया का कोई भी कानून यह नहीं कहता है कि आप लोगों का सम्मान न करें।
दुनिया का कानून यह भी नहीं कहता है कि आप अपना उपनाम लिखकर अच्छा लिख-पढ़ नहीं सकते हैं. आप लोग विद्धान लोग है मुंशी प्रेमचंद भी कभी नवाबराय के नाम से लिखते थे. देश में अब भी कई लेखक ऐसे हैं जिनका साहित्य़िक नाम कुछ और ही है। भला मैं बेनामी कैसे हो गया।