शुक्रवार, मई 14, 2010

सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर! ब्लॉग जगत की दो धुरियें एक साथ !! वाह क्या सीन है !!!

जी हाँ सुन कर...सॉरी... पढ़ कर आपको अचम्भा ज़रूर लगा होगा. आख़िर यह कैसे संभव है कि ब्लॉग जगत के दो धुर-विरोधी पहिये जिन पर ब्लॉग जगत की दो बड़ी जमातें चलती हैं...एक साथ कैसे हैं? तो जनाब मैं आपको बता दूं कि यह संभव हो सका हमारी और हम सबकी वाणी "ब्लॉगवाणी" से. मैं आज जैसे ही ब्लोगवाणी का पेज खोला, सामने दो पोस्ट्स देख कर मेरे को इस संयोग पर यक़ीन ही नहीं हुआ कि इन दो महानुभाव एक के बाद एक एक साथ ही पोस्ट क्यूँ डाल दी? या फिर हो सकता है ब्लॉगवाणी ने इनकी पोस्ट्स एक साथ ही रिलीज़ कर दी हो! आप स्वयं देखिये:

वैसे मुझे इस चित्र में एक चीज़ और चौकाने वाली मिली कि जहाँ एक तरफ सुरेश चिपलूनकर की पोस्ट पर पसंद के चटकों (संख्या 6) की भरमार थी वहीँ सलीम ख़ान की पोस्ट में नापसंद के चटकों (संख्या -8) की भरमार थी, हालाँकि जहाँ तक मैं समझता हूँ दोनों ने ही अच्छी पोस्ट लिखी. चूँकि मैं व्यक्तिगत तौर पे सलीम के अच्छे लेख लिखने के बावजूद उनको नापसंद करता हूँ और सुरेश चिपलूनकर जी को महफूज़ अली और फ़िरदौस जी की तरह तहेदिल से पसंद करता हूँ इस लिए मैंने भी सुरेश भाई की पोस्ट में पसंद का चटका लगा दिया और सलीम ख़ान की पोस्ट पर नापसंद का चटका लगा दिया. मैं आप सब ब्लॉगर से अपील करता हूँ आज की सलीम की इस पोस्ट पट जम कर नापसंद का चटका लगाईयेआपने क्या किया मुझे ज़रूर बताईयेगा....!?


जय हिन्दुस्तान-जय भारत!

आप सबका  
EJAZ AHMAD IDREESI

10 टिप्‍पणियां:

  1. unko ek limk diya tha dekhne ke liye!ayr ye poochha tha ke ye (-ve) napasandagi ka chatka kaise lagta hai?

    waise kai dino ke baad dikhaai diye wo bhi yun...

    kunwar ji,

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  2. कुंवर जी, नापसंद चटका पाना सीखना चाहते हो तो सलीम से सीखो, जहाँ तक मैं जानता हूँ इसके लिए देने वाले के मन में अथाह नफरत का संचार हो रहा होता होगा.

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  3. महफूज अली जी कहेंगे तो कुअें में कूद जायेंगे क्या ???

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  4. EJAZ AHMAD IDREESI
    आजा मेरे बुरके में घुस जा! मौज करा दूं. तुझे तो पता है- ताया, चाचा, मामा, खलेरे, फुफेरे, चचेरे, ममेरे और भी न जाने कौन-कौन से "भाई जान" बुर्के में घुसकर मज़े लुटते हैं

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  5. बहन फ़िरदौस को जितना जानता हूँ, वो अपने भाई सलीम खान की पोस्ट पर कभी भी नापसंद का चटका नहीं लगा सकतीं.
    लगता है आप हीन भावना का शिकार हो गए हैं, तभी बहन का नाम घसीटते रहते हैं.
    अब बड़े हो जाओ, अपने पैरों पर खड़े हो और खुद भी कुछ लिखना सीख लो.

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  6. भाईजान , कुछ सार्थक बात लिखा करो यार ऐसे शीर्षक डाल कर ब्लॉग वाणी पर सर्वाधिक पठित में जगह पाने की कोशिश से कुछ नहीं मिलेगा . अभी समीर लाल , अनूप शुक्ल और ज्ञानदत्त पाण्डेय का मामला देख ही रहे होंगे आप , किस तरह ब्लोगवाणी के सर्वाधिक पठित ,टिप्पणी और पसंद के कॉलम में सत्तर पर्तिशत पोस्ट इसी मुद्दे पर लिखा गया है . यही गंध मचाने के लिए लोग ब्लॉग बनाते हैं ? वैसे रोजाना देखो तो हिन्दू -मुसलमान को लेकर अनर्गल पोस्टों की भरमार है . क्या मिलता है यह सब करके ?

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  7. एजाज़ भाई वैसे में कभी किसी पे पर्सनल कमेन्ट नही करता लेकिन आपने मेरी एक पोस्ट पे मेरी तुलना सलीम खान से कर दी और कहा की चलो सलीम खान को एक भाई तो मिल गया और साथ में आपने मुझे कहा की आप मेरे साथ नही हैं.

    मुझे बताने का कष्ट करेंगे की मेरी उस पोस्ट में क्या गलत था और आपने ऐसा क्यों कहा जब की मुझे तो उस समय मालूम ही नही था सलीम कौन हैं और सारा मामला क्या हैं .

    आप मेरे ब्लॉग खुशिया बाटो........बाटने से बढ़ेगी पर कमेन्ट कर सकते हैं .

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