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शनिवार, मई 08, 2010

एक सच्चे मुसलमान (?) का 'भगवा प्रेम' Why he always wears BHAGWA dress


एक बात मुझे समझ न आ सकी तो सोचा आपसे शेयर करके कुछ मशविरा ले लूं. ब्लॉग जगत के सबसे बड़े धर्मांध, जाति-परस्त, क्षेत्रवाद से ग्रस्त इस ब्लॉगर के फ़ोटो को आप गॉर से देखिये. सिलसिलेवार उसका फ़ोटो मैं यहाँ प्रदर्शित कर रहा हूँ, यह सब फ़ोटो मुझे उसके ब्लॉग से ही प्राप्त हुए हैं. 
फ़ोटो संख्या (एक)
फ़ोटो संख्या (दो)
फ़ोटो संख्या (तीन)
आपको फ़ोटो देख कर कुछ समझ आया? ये अलग अलग समय की सलीम ख़ान नामक ब्लॉगर की तस्वीरें हैं. मुझे ये समझ नहीं आया कि वो हमेशा 'भगवा रंग' ही क्यूँ पहनते हैं? और तो और  हर फोटो में रंग और गहरा होता जा रहा हैअरे अगर सुरेश चिपलूनकर या महफूज़ भाई जैसे लोग पहनते या मैं पहनता तो कुछ तर्क बनता भी!?

26 पाठकों ने अपनी राय व्यक्त की:

Khursheed ने कहा…

mujhe nahin lagta ki tum sahi kar rahe ho, saleem jaise izzatdar blogr ko is tarah se kahna shobha nahin deta.

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

मुझे पता है की मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं .

बेनामी ने कहा…

saleem ko is tarah se mahimamandit karke ek tarah se aap usi ki TRP badha rahe ho. aap ne pahle bhi kaha tha ki aap badal gaye ho magar aap saleem ke pichhe is tarah na pdo isse usi ko labh milega.

... ने कहा…

सलिम और इज्जतदार?????????????

... ने कहा…

सा---------ला हराम औलाद है. इन लोगों का मजहब इतना गंदा है- हर महिला को नंगा करते फिरते हैं. सर्वप्रथम अपनी मां को ... हुए पैदा होते हैं, बड़े होकर बहन की इज्जत उतारते है, बेटी पैदा होती है तो सोचते हैं कब बड़ी हो और कब ये उसके साथ भी मुंह काला करें. जमाल, असलम, सलीम अयाज, सहाफत, इदरीसी, जीशान सब हराम की औलाद हैं, इनको अपने बाप के नाम का तो पता नहीं, दूसरों को भाषण देते फिरते हैं.

चिपलूनकर की बहन ने कहा…

इस्लाम की दुनिया नामक ब्लॉग "चिपलूनकर की देन" है.

प्रवीण ने कहा…

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अब यह तो हद है, सलीम खान की मर्जी जो चाहे उस रंग के कपड़े पहने, आपको 'भगवा' से दिक्कत क्या है ?

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

प्रवीण जी मुझे भगवा से दिक्कत नहीं है, मुझे दिक्क़त है सलीम से. जिसकी कथनी और करनी में अंतर का खुलासा मैंने यहाँ किया है.

सहसपुरिया ने कहा…

लगता है आपको जल्दी मशहूर होना है इसी लिए इस तरह की बातें निकलते रहते हो.
यारो, कोई मुद्दे की बात उठाओ.... अब लोगो को खाना पहनना भी आपसे सीखना पड़ेगा..
वैसे बात तो ये है अगर इक मुसलमान(?) दूसरे मुसलमान को बुरा कहे या इस्लाम को बुरा कहे उसके मशहूर होने के चान्स ज़्यादा होते है, बनिस्बत दूसरो के.....
लगता है महफूज़ साहब की राह पर चल रहे हो..बेतुकी कविताएँ और लिखना सीख लो.....

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

@sahespuriya

हाँ मैं चल रहा हूँ महफूज़ जी की राह, किसी को इससे क्या. भारत देश में हम स्वतंत्र हैं. अपनी मर्ज़ी अपनी आस्थानुसार कुछ भी करने के लिए. आज महफूज़ जी और मेरे जैसे लोगों की वजह से ही मुसलमानों की शाख इंडिया में बची हुई है. वरना सलीम कैरान्वी और डॉ अनवर जैसे लोगों ने तो बंटाधार ही कर रखा है.

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

और रही कविता और ग़ज़ल की बात तो वो मुझे आती है और थोडा बहुत मैं महफूज़ जी से सीख लूँगा.

JAGO HINDU JAGO ने कहा…

shaabaash

बेनामी ने कहा…

भाईजान इन गधे के बच्चों को भाव देने की बजाय दो दो लात इनके पिछवाडे पे ठोकंते तो कुछ बात भी होती..ये साले सूअर की नाजायज औलादें क्या जाने कि धर्म किस चिडिया का नाम है.

---जाहिद बेग

बेनामी ने कहा…

bahut sahi kiya tumne EJAZ jo Saleem ki poll kholl di. wah lagta hai ki doboul agent hai.

Khursheed ने कहा…

ohh sab TRP ka khel hai, tum zaroor Suresh CHIPLUNKAR ke chamche ho.

फँने खाँ ने कहा…

ये बी ग्रेड की बहस है, मैं ए ग्रेड की बहस में विश्वास रखता हूँ. वैसे सलीम की टी-शर्ट और शर्ट उम्दा है.

Unknown ने कहा…

मुझे नहीं पता था कि मैं इतना मशहूर हूं… कि पोस्ट के टाइटल, पोस्ट के विषय के बाद, अब फ़र्जी टिप्पणी में भी मेरे नाम का इस्तेमाल होने लगा है… :) :) जिसने भी वह फ़र्जी नामधारी टिप्पणी की है, वह वाकई में मूर्ख है।

आपने पोस्ट तो लिखी सलीम पर, लेकिन टिप्पणियों में नाम बार-बार मेरा आ रहा है… :)

ePandit ने कहा…

खूब पकड़ा :)

बलबीर सिंह (आमिर) ने कहा…

इदरीसी तू हमेशा मुझे भूल जाता है जब भी नाम गिनता है मेरा नहीं गिनता मैं भी तेरी जैसी हूँ विश्‍वास न हो तो कभी मेरी कश्‍ती में सवार हो के देख लियो

Unknown ने कहा…

अरे भई इसमें दिक्कत क्या है क्योंकि वेशक आज हमारी पूजा पद्धतियां अलग-अलग हैं लेकिन हम सब मूलत: हिन्दू ही तो हैं

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

कोई किस रंग के कपडे पहनेगा, ये उसका व्यक्तिगत मामला है ... एक हिंदू चाहे तो हरे रंग का कपडा पहन ले ... कोई रंग किसी का बपौती नहीं है
इसलिए इन बातों को छोडिये ... कपडा किस रंग का है उससे क्या फर्क पड़ता है?
रंग तो मन में होना चाहिए देशप्रेम का ... वो कहाँ से ला पायेगा?

Nagendra Pathak ने कहा…

jara socho in baaton se kyaa milne wala hai? kyaa ishwar ne rangon ko dharm me bant kar bheja? yah to insani fitrat hai jo har chij ko dharm aur majhab ki dristi se dekhtaa hai. kripayaa aap bhi ise rangon ki dristi se dekhen na ki majhab ki

... ने कहा…

salim ISI ka agent lagta he

vikas mehta ने कहा…

bhai saleem ji tippni dene nhi aye

kunwarji's ने कहा…

are ham kaha reh gaye the! ye najaara dekhne chook gaye the!

sahi pakda hai...

kunwar ji,

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

EJAZ AHMAD IDREESI जी, प्रथम बार आपके ब्लॉग पर आया, बड़ा डर रहा था. क्योंकि मन में लग रहा था कि कोई दंगाई ही मिलेगा इस ब्लॉग पर भी पर ऐसा नहीं हुआ. :)
आप अच्छे ब्लॉगर और अच्छे व्यक्ति हैं.
शुभकामनाएं.