मनुष्य
आदर करने पर- चापलूसी समझता है !
उपदेश देने पर- मुहँ घुमा लेता है !
विश्वास करने पर- विश्वासघात करता है !
क्षमा करने पर- कमज़ोर समझता है !
प्यार करने पर- आघात करता है !
सुखी देख कर- इर्ष्या करता है !
दुखी देख कर- प्रसन्न होता है !
आश्रित होने पर- ठोकर मारता है !
स्वार्थ आने पर- तलवे चाटता है !
काम निकल जाने पर- भूल जाता है !
मनुष्य रोते हुए पैदा होता है, निंदा और शिकायते करते हुए जीता है और अंत में निराशा लिए मर जाता है !
इसी को मनुष्य कहते हैं !
इसी को मनुष्य कहते हैं !
इसी को मनुष्य कहते हैं !!!!!!!!!!!!!!!!!!
4 पाठकों ने अपनी राय व्यक्त की:
भाई वह बहुत अच्छा लिखा है अपने
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Gyan ki baaten hain, Aabhaar.
उत्तरप्रदेश ब्लोगर असो. अपनी माँ चुदाने के लिए बनाये थे भोसड़ी के, तुम्हारी बहन भाग गयी क्या जो बंद कर दिए. साले काफिरों को बोलने का मौका दे दिया की मुसलमान बेवजह चिल्लाते रहते हैं. साले शुरू कर असो. को नहीं तो मैं आ-आ कर तेरी माँ चोदता रहूँगा. साला आकर बोली बोल रहा है और तुम चुपचाप बैठे हो.
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