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बुधवार, अप्रैल 07, 2010

मुझे किसी ब्लॉगर ने बहकाया था; ब्लोगिंग की अहमियत मैंने अब पहचानी है; मैं अब स्वस्थ ब्लोगिंग ही करूँगा: EJAZ AHMAD IDREESI

प्रिय ब्लॉगर बन्धुवों ! मैंने मार्च के आखिरी हफ़्ते से ही ब्लोगिंग शुरू की थी. मुझे मेरे एक बहुत ही क़रीबी दोस्त ने ब्लोगिंग करने की सलाह दी थी चूँकि मेरे पास इतना समय बच जाता है कि मैं ब्लोगिंग कर सकता हूँ इसलिए मैंने हामी भर दी. लेकिन शुरू में मैं कच्चा था, इसलिए टोटल उसी ब्लॉगर के बहकावे में आ गया और धार्मिक विद्वेष वाली कुछ पोस्ट्स डाल दी. यकीन मानिये मैं व्यक्तिगत रूप से बेहद भावुक व्यक्ति हूँ और शौक रखता हूँ शेर-शाएरी व कविताओं का. मैं यह सब नहीं करना चाहता था. चूँकि मैंने ब्लोगिंग के इस तरह के नकारात्क स्वाभाव को जानता नहीं था इसलिए नतीजा भी नकारात्मक ही निकला और आप लोगों की निगेटिविटी का सामना करना पड़ा. यही नहीं, ब्लोगवाणी ने भी मुझे अपनी लिस्ट से बहार निकाल दिया था. मैं किसी को बदनाम नहीं करना चाहता हूँ इसलिए उस ब्लॉगर का नाम मैं नहीं बता सकता अथवा समय आने पर मैं बता दूंगा.

लेकिन अब मैं सिर्फ सामयिक लेख ही लिखूंगा और वे लेख जो कि स्वस्थ ब्लोगिंग व हिंदी ब्लोगिंग को बढ़ावा दे सकें.

जय हिन्दुस्तान-जय भारत!

आप सबका  
EJAZ AHMAD IDREESI

12 पाठकों ने अपनी राय व्यक्त की:

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

मैं पिछली सारी पोस्ट भी डिलीट कर रहा हूँ.

बेनामी ने कहा…

AB AQL THIKANE AAI

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

मैं बेनामी का ऑप्शन भी बंद कर दूंगा

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

भाई आप विश्वास करिए या न करिये एक दूसरे की आस्था पर कीचड़ उछालने से देश और मानवता का भला तो होने से रहा ये आप समझ पा रहे होंगे। विभिन्न आस्थाएं अलग-अलग काल व भोगोलिक स्थितियों में पनपी हैं और हम जिनके चलते यदि उन्हें मानवता के हित में न लाकर कूपमंडूक बने रहें तो विवाद ही होंगे कुछ और नहीं। निःसंदेह ब्लॉगिंग एक बेहतरीन माध्यम है लेकिन बस वैसे ही जैसे आप पत्थर से कोई सुन्दर मूर्ति बनाएं या अपना सिर फोड़ लें। रचनात्मकता सिर्फ़ धर्म/मजहब के क्षेत्र में नहीं बल्कि अन्य में भी है आप कविता कहानी आदि में बेहतर अभिव्यक्ति दे सकते हैं। हमें तो इस माध्यम से एक वैश्विक परिवार मिला है आप चाहें तो जब कभी मुंबई आएं हम सबसे मिलिये आप समझ जाएंगे कि कितना गहरा प्रभाव है इस माध्यम का लोगों को एक दूसरे से जुड़ने में। आप किसी के बहकावे में न आएं और साहसी बनें कि यदि किसी धूर्त ने आपकी भावनाओं से खिलवाड़ करा है तो उसे सबके सामने ले आएं अन्यथा वह दूसरे भोले भाले जनों के साथ भी ऐसा कर सकता है। पूर्व में हुए वाद को विस्मृत कर दीजिये और नयी शुरूआत की शुभकामना स्वीकार करिये। कमेंट मॉडरेशन लगा दीजिये बेहतर रहेगा।
आपकी छोटी बहन
फ़रहीन नाज़

वीनस केसरी ने कहा…

दिल से स्वागत है
आप बढ़िया, सकारात्मक लिखिए
गजल लिखेगे तब तो हम जरूर पढेंगे

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

@नाज़ो... (यह इसलिए की छोटी बहन को उसके नाम के शोर्ट फॉर्म में बुला सकते हैं...) तुम्हारी हौसला अफ्जाए का शुक्रिया.. ब्लोगिंग में तुम्हारे मार्ग-दर्शन का अभिलाषी... इंशा अल्लाह राबता कायम रहेगा...

तुम्हारा बड़ा भाई
EJAZ AHMAD IDREESI

kunwarji's ने कहा…

"naaz" ji se sahmator aapko badhaai!
shubhkaamnaaye swikaar kare!

kunwar ji,

SANJEEV RANA ने कहा…

koi baat nhi aisa life me hota hi rahta h
aap acha likhe aapka sadaiv swagat hoga

कहत कबीरा-सुन भई साधो ने कहा…

आप सुधरने का दावा कर रहे हैं. अच्छी बात है, पर क्या आपने अपनी बहन फ़िरदौस ख़ान से माफ़ी मांगी?
उनके बारे में लिखे गए बेहूदा कमेन्ट डिलीट किए?

P.N. Subramanian ने कहा…

आपका आभार.

Ravish Tiwari (रविश तिवारी ) ने कहा…

एजाज़ जी एक कहावत है देर आये दुरुस्त आये,
आप को अपनी गलती का एहसास है हम सब को ख़ुशी है,
परिवार को कोई सदस्य जब पानी गलती का एहसास कर लेता है, परिवार के बड़े उसे गले से लगा कर माफ़ कर देते हैं,
मुझे उम्मीद है सभी को गले से लगा कर माज कर देंगे.
स्वागत है ब्लॉगर परिवार में, मै खुद भी शेर ओ शायरी लिखता हु, आप की कविताओं का इन्तेजार रहेगा,

Ravish
http://alfaazspecial.blogspot.com

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

प्रिय एजाज़,
आपने बहुत अच्छा निर्णय लिया है ... उम्मीद है अब और रास्ता नहीं भटकेंगे ...
चलिए गलती तो सबसे होती है ... पर गलती को समझना और सही रास्ते पे आना, ये बहुत बड़ी बात है ... आपको शुभकामनायें ..
एक बात आप थोडा गौर कीजिये कि जो लोग आपकी गलती पर नाराज़ थे ... वही लोग अभी ये कह रहे हैं कि "कोई बात नहीं, सुबह का भुला शाम को घर आ जाये तो उसे भूल नहीं कहते" ...
शायद आप खुद एहसास कर पा रहे हों कि यह कितनी बड़ी बात है कि सब लोग आपकी गलती भूल कर अब फिर से आपसे अच्छे सम्बन्ध बनाना चाहते हो ...
जिंदगी बहुत छोटी है मेरे भाई ... मुहब्बत के लिए वक्त कम पढ़ जाता है ... नफरत में जिंदगी क्यूँ जाया करना है ...