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शुक्रवार, मई 21, 2010

फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ है.




फ़िरदौस जी की हिम्मत की मैं दाद देता हूँ और एक वक़्त था जब सभी धर्म के ठेकेदार और जानकार उनके पीछे पड़े हुए थे और फ़िरदौस जी उनकी एक न सुनी. लोगों को लगा कि वे हिन्दू धर्म में जाने के लिए मन सा बना लिया है और शीघ्र ही वे हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेंगी. उन्हें किसी ने हिन्दू धर्म स्वीकार करने का न्योता दे दिया था. लेकिन फ़िरदौस जी, महफूज़ जी और हम जैसे राष्ट्रवादी जानते हैं कि हमारे लिए धर्म कोई मायने नहीं रखता है. हम राष्ट्रवादी किसी भी धर्म में रहें, हम न तो हिन्दू में ही होते हैं न मुस्लिम में; हम सबमें होते हुए भी किसी में भी नहीं होते बल्कि राष्ट्रवादी होते हैं. हम देश-हित को पहले रखते हैं, धर्म को नहीं. हाँ अगर डीपली कहें तो इस्लाम धर्म से थोडा ज़्यादा विमुख और हिन्दू धर्म के थोडा सा करीब होते हैं क्यूंकि हम भारत में रहते हैं और हमें यहाँ उसी हिसाब से चलना पड़ेगा जैसा कि राष्ट्रवाद की विचारधारा हमें बताती है और यही हमारे हित में भी है. हर वह भारतीय राष्ट्रवादी मुस्लिम फ़िर चाहे वह शाहरुख ख़ान हो, आमिर ख़ान हो अथवा सलमान ख़ान और हाँ सैफ़ अली ख़ान (करीना वाला), महफूज़ जी,और हम सब-के-सब राष्ट्रहित में शराब भी पी लेते हैं हमें कोई हर्ज़ नहीं क्यूंकि हमें पता है कि शराब तो मात्र मनोरंजन का साधन है.

तो शीर्षकान्तर न हो, मैं मुद्दे पर आता हूँ आज की पोस्ट में दी गयी टिपण्णी के चित्र में फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ है और हम सबको, हम सभी राष्ट्रवादियों को फ़िरदौस जी की इस हिम्मत को दाद देनी चाहिए. मैं पूछता है किसी में इतनी हिम्मत? 

क्या आप एक भी ऐसे मुसलमान को जानते हैं जो पहले इस्लाम पर लिखता हो, बल्कि ब्लॉग-जगत के कथित "विश्व के प्रथम एवम एकमात्र इस्लाम धर्म के चिट्ठे" का सक्रिय सदस्य हो और फ़िर कूप-मंदूप्ता से निजात पाई हो, वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! 

क्या आप किसी ऐसे मुस्लिम को जानते हैं जो इस्लाम धर्म में घुटन महसूस करता हो और हिन्दू धर्म अपनाने का उसे न्योता मिला हो. वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! लेकिन चुकि राष्ट्रवादी धर्म के ऊपर होते है और राष्ट्रहित से लबरेज़ रहते हैं. इसीलिए उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया.

क्या आप किसी ऐसे मुसलमान को जानते हो जो इस्लाम धर्म में रहते हुए स्वयं को "काफ़िर" घोषित कर चुका हो? वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

काफ़िर का मतलब क्या होता है?
काफ़िर उसे कहते हैं जो ईश्वर के अस्तित्व को सिरे से इनकार कर दे. अंग्रेजी में नॉन-मुस्लिम कहते हैं!

सभी राष्ट्रवादी ब्लॉगर से अनुरोध है कि फ़िरदौस जी के विचारों का साथ दें!

जय हिंद! जय भारत !! जय राष्ट्रवाद !!!

फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ है.

फ़िरदौस जी की हिम्मत की मैं दाद देता हूँ और एक वक़्त था जब सभी धर्म के ठेकेदार और जानकार उनके पीछे पड़े हुए थे और फ़िरदौस जी उनकी एक न सुनी. लोगों को लगा कि वे हिन्दू धर्म में जाने के लिए मन सा बना लिया है और शीघ्र ही वे हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेंगी. उन्हें किसी ने हिन्दू धर्म स्वीकार करने का न्योता दे दिया था. लेकिन फ़िरदौस जी, महफूज़ जी और हम जैसे राष्ट्रवादी जानते हैं कि हमारे लिए धर्म कोई मायने नहीं रखता है. हम राष्ट्रवादी किसी भी धर्म में रहें, हम न तो हिन्दू में ही होते हैं न मुस्लिम में; हम सबमें होते हुए भी किसी में भी नहीं होते बल्कि राष्ट्रवादी होते हैं. हम देश-हित को पहले रखते हैं, धर्म को नहीं. हाँ अगर डीपली कहें तो इस्लाम धर्म से थोडा ज़्यादा विमुख और हिन्दू धर्म के थोडा सा करीब होते हैं क्यूंकि हम भारत में रहते हैं और हमें यहाँ उसी हिसाब से चलना पड़ेगा जैसा कि राष्ट्रवाद की विचारधारा हमें बताती है और यही हमारे हित में भी है. हर वह भारतीय राष्ट्रवादी मुस्लिम फ़िर चाहे वह शाहरुख ख़ान हो, आमिर ख़ान हो अथवा सलमान ख़ान और हाँ सैफ़ अली ख़ान (करीना वाला), महफूज़ जी, और हम सब-के-सब राष्ट्रहित में शराब भी पी लेते हैं हमें कोई हर्ज़ नहीं क्यूंकि हमें पता है कि शराब तो मात्र मनोरंजन का साधन है.

तो शीर्षकान्तर न हो, मैं मुद्दे पर आता हूँ आज की पोस्ट में दी गयी टिपण्णी के चित्र में फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ है और हम सबको, हम सभी राष्ट्रवादियों को फ़िरदौस जी की इस हिम्मत को दाद देनी चाहिए. मैं पूछता है किसी में इतनी हिम्मत? 

क्या आप एक भी ऐसे मुसलमान को जानते हैं जो पहले इस्लाम पर लिखता हो, बल्कि ब्लॉग-जगत के कथित "विश्व के प्रथम एवम एकमात्र इस्लाम धर्म के चिट्ठे" का सक्रिय सदस्य हो और फ़िर कूप-मंदूप्ता से निजात पाई हो, वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! 

क्या आप किसी ऐसे मुस्लिम को जानते हैं जो इस्लाम धर्म में घुटन महसूस करता हो और हिन्दू धर्म अपनाने का उसे न्योता मिला हो. वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी! लेकिन चुकि राष्ट्रवादी धर्म के ऊपर होते है और राष्ट्रहित से लबरेज़ रहते हैं. इसीलिए उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया.

क्या आप किसी ऐसे मुसलमान को जानते हो जो इस्लाम धर्म में रहते हुए स्वयं को "काफ़िर" घोषित कर चुका हो? वो एकमात्र ब्लॉगर हैं: हम सबकी चहेती राष्ट्रवादी फ़िरदौस जी!

काफ़िर का मतलब क्या होता है?
काफ़िर उसे कहते हैं जो ईश्वर के अस्तित्व को सिरे से इनकार कर दे. अंग्रेजी में नॉन-मुस्लिम कहते हैं!

सभी राष्ट्रवादी ब्लॉगर से अनुरोध है कि फ़िरदौस जी के विचारों का साथ दें!

जय हिंद! जय भारत !! जय राष्ट्रवाद !!!

मंगलवार, मई 18, 2010

मैं हूँ 'ज़लज़ला', EJAZ AHMAD IDREESI

हद है आप लोगों यह भी न जान पाए कि ये ज़लज़ला कौन है. आपमें तनिक भी बुद्धि नहीं है लगता है आप सबकी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है जो इतनी बात समझ न सके. अरे ये भी कौनो सवाल हुआ कि कौन है ज़लज़ला? कहाँ है ज़लज़ला? किधर से आया है ये ज़लज़ला? किधर को जाएगा ये ज़लज़ला? किस ब्लॉगर की उपज है ये ज़लज़ला?
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सच बताऊँ तो हमरा के खुद ही नहीं मालूम है कि कौन है ये ज़लज़ला?
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टाईटिल में मज़ाक किया, उसके लिए सॉरी.

सोमवार, मई 17, 2010

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन ...??? ऑफ़कोर्स बहन फ़िरदौस !!!

पिछले दो दिन से ब्लॉग दुनियां में मिस्टर ज़लज़ला नामक एक जनाब हर जगह एक टिपण्णी कर रहें हैं कि कौन है श्रेष्ठ ब्लॉगरिन ??? और उनकी लिस्ट में ये नाम हैं :::

1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा


इन नाम पर गौर करने पर मुझे इस लिस्ट में केवल एक ही नाम अच्छा लगा जो कि इस ताज की असली हक्दारिणी हो सकती हैं और वो हैं हम सबकी राष्ट्रवादी बहन फ़िरदौस. मैं इस बात को कहने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाता कि जिस तरह से महफूज़ जी राष्ट्रवाद की असल पहचान बने है उसी तरह से फ़िरदौस जी भी एक स्वच्छ मानसिकता की मालकिन है और यह नाचीज़ भी उन्हीं के नक़्शे क़दम पे चलने की कोशिश कर रहा है.

मैं  आप सभी से यह अपील करता हूँ कि जिस तरह से सलीम ख़ान v/s फ़िरदौस ख़ान प्रकरण में फ़िरदौस जी का खुले मन से, अत्यधिक टिप्पणियों से साथ दिया था आप इस चुनाव में भी फ़िरदौस जी का साथ दीजिये और आने वाले इस चुनाव में (अगर होंगे) तो सिर्फ़ और सिर्फ़ फ़िरदौस जी का साथ ही दीजिये. 

वैसे मुझे पूरा यक़ीन हैं कि हमारे और फ़िरदौस जी जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के निम्न ब्लॉगर्स जो कि इसके पूर्व फ़िरदौस जी के पाले में खड़े दिखाई दिए थे इस बार भी उनका साथ ज़रूर देंगे; ब्लॉगर्स की लिस्ट मै फ़िरदौस जी के ब्लॉग से ही जुटा कर लाया हूँ, जिन्होंने सलीम ख़ान v/s फ़िरदौस ख़ान प्रकरण में खुले मान से फ़िरदौस जी का साथ दिया था:

लिस्ट बहुत लम्बी है मैं कॉपी पेस्ट करते करते थक गया हूँ ख़ैर मेरे मर्म और अपील को आप ज़रूर समझ गए होंगे. (ये लिस्ट में जो नाम हैं वे सब तो ज़रूर ही फ़िरदौस जी को वोट देंगे और मैं भी)

इस लिस्ट में नगर आपका नाम है तो समझ लीजिये आपका वोट फ़िरदौस जी को ज़रूर जायेगा. आपका वोट ज़रूर होना चाहिए फ़िरदौस जी के नाम क्यूंकि ऐसा न हुआ तो आप सब गद्दार की श्रेणी में भी आ सकते हैं क्यूंकि आप सबने फ़िरदौस जी को महान ब्लॉगरिन का खिताब इनकी निम्न पोस्ट्स में दे रखा अपनी टिप्पणियों के ज़रिये.


फ़िरदौस जी के लेख जिसमें उक्त ब्लॉगरों ने उन्हें समर्थन में पोस्ट किया था 


वैसे मुझे सबसे ज़्यादा आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि सलीम ख़ान क्यूँ और कैसे फ़िरदौस जी का सपोर्ट कर रहे हैं, यक़ीन नहीं आ रहा न आपको, पहले मुझे भी नहीं आया था. जब मैंने यहाँ एक टिपण्णी पढ़ी आप भी देख लीजिये.

हुआ न आश्चर्य मुझे भी हुआ था. चलिए कोई बात नहीं. आप फ़िर भी फ़िरदौस जी को वोट ज़रूर दीजियेगा. जल्द ही यह नोमिनेशन हो सकता है खुल जाये. 

लेख पोस्ट होने के 10 मिनट के अन्दर 8 Negative वोट ! थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है!

भाई क्या कहूँ बनें चला था ब्लॉगर और सोचा था मैं अपनी कलम चलाऊंगा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ सच के लिए, लेकिन क्या करें वर्तमान मीडिया की तरह मुझे भी टी आर पी का रोग लग गया. एक तरफ जहाँ मीडिया टी आर पी के लिए कुछ भी दिखाने के लिए तत्पर दिखाई देती हैं, EZAJ AHMAD IDREESI भी इस भेंड चाल में शामिल हो गए.

आज सुबह जब इस ख़याल से ब्लोगवाणी खोली कि कुछ नया मिलेगा तो हमेशा की तरह "नाम लिया शैतान हाज़िर" वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सलीम ख़ान से रिलेटेड  मुझे ये पोस्ट दिखी.

इस पोस्ट में वही सब कुछ था जो मैंने अपने पिछली पोस्ट को अपने नज़रिए से पेश किया था कि कैसे सलीम ख़ान को ब्लोगवाणी ने सुरेश चिपलूनकर को एक साथ प्रदर्शित किया लेंकिन इसे अबकी पोस्ट किया किसी खातून ने. उन्होंने सलीम ख़ान को मिले नकारात्मक नापंसद के चटकों (-8) के ज़ख्मों पर कुछ मरहम लगाने का काम किया था. मैं उस पोस्ट की वह झलकी पेश कर रहा हूँ जो आपमें ज़रूर उत्सुकता पैदा करेगी. 

मुझे ख़ुशी है कि ब्लॉग जगत के साथियों ने मेरी उस अपील पर पूरा पूरा ध्यान दिया और सलीम ख़ान के उस पोस्ट पर जो कि श्रीराम सेना के प्रधान मुथ्लिक के खिलाफ़ लिखी गयी थी, नकारात्मक वोट देने की मेरी अपील पर अमल किया. धन्यवाद नकारात्मक वोट देने वालों भाईयों अथवा बहनों !!! मैं आपसे फ़िर से आग्रह करता हूँ कि सलीम कुछ भी लिखे आप उसके पोस्ट पर आँख मूंद कर नापंसद का चटका लगाईये.... 

अबकी बार सलीम की पोस्ट पर 10 मिनट में -8 चटका लगा था और क्या मज़ा आयेगा जब मात्र 5 मिनुत में आप लोग (और मैं भी) -16 चटके लगा दें.

तो जवाब दीजिये कौन-कौन मेरे साथ है.

शुक्रवार, मई 14, 2010

सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर! ब्लॉग जगत की दो धुरियें एक साथ !! वाह क्या सीन है !!!

जी हाँ सुन कर...सॉरी... पढ़ कर आपको अचम्भा ज़रूर लगा होगा. आख़िर यह कैसे संभव है कि ब्लॉग जगत के दो धुर-विरोधी पहिये जिन पर ब्लॉग जगत की दो बड़ी जमातें चलती हैं...एक साथ कैसे हैं? तो जनाब मैं आपको बता दूं कि यह संभव हो सका हमारी और हम सबकी वाणी "ब्लॉगवाणी" से. मैं आज जैसे ही ब्लोगवाणी का पेज खोला, सामने दो पोस्ट्स देख कर मेरे को इस संयोग पर यक़ीन ही नहीं हुआ कि इन दो महानुभाव एक के बाद एक एक साथ ही पोस्ट क्यूँ डाल दी? या फिर हो सकता है ब्लॉगवाणी ने इनकी पोस्ट्स एक साथ ही रिलीज़ कर दी हो! आप स्वयं देखिये:

वैसे मुझे इस चित्र में एक चीज़ और चौकाने वाली मिली कि जहाँ एक तरफ सुरेश चिपलूनकर की पोस्ट पर पसंद के चटकों (संख्या 6) की भरमार थी वहीँ सलीम ख़ान की पोस्ट में नापसंद के चटकों (संख्या -8) की भरमार थी, हालाँकि जहाँ तक मैं समझता हूँ दोनों ने ही अच्छी पोस्ट लिखी. चूँकि मैं व्यक्तिगत तौर पे सलीम के अच्छे लेख लिखने के बावजूद उनको नापसंद करता हूँ और सुरेश चिपलूनकर जी को महफूज़ अली और फ़िरदौस जी की तरह तहेदिल से पसंद करता हूँ इस लिए मैंने भी सुरेश भाई की पोस्ट में पसंद का चटका लगा दिया और सलीम ख़ान की पोस्ट पर नापसंद का चटका लगा दिया. मैं आप सब ब्लॉगर से अपील करता हूँ आज की सलीम की इस पोस्ट पट जम कर नापसंद का चटका लगाईयेआपने क्या किया मुझे ज़रूर बताईयेगा....!?


जय हिन्दुस्तान-जय भारत!

आप सबका  
EJAZ AHMAD IDREESI

शनिवार, मई 08, 2010

एक सच्चे मुसलमान (?) का 'भगवा प्रेम' Why he always wears BHAGWA dress


एक बात मुझे समझ न आ सकी तो सोचा आपसे शेयर करके कुछ मशविरा ले लूं. ब्लॉग जगत के सबसे बड़े धर्मांध, जाति-परस्त, क्षेत्रवाद से ग्रस्त इस ब्लॉगर के फ़ोटो को आप गॉर से देखिये. सिलसिलेवार उसका फ़ोटो मैं यहाँ प्रदर्शित कर रहा हूँ, यह सब फ़ोटो मुझे उसके ब्लॉग से ही प्राप्त हुए हैं. 
फ़ोटो संख्या (एक)
फ़ोटो संख्या (दो)
फ़ोटो संख्या (तीन)
आपको फ़ोटो देख कर कुछ समझ आया? ये अलग अलग समय की सलीम ख़ान नामक ब्लॉगर की तस्वीरें हैं. मुझे ये समझ नहीं आया कि वो हमेशा 'भगवा रंग' ही क्यूँ पहनते हैं? और तो और  हर फोटो में रंग और गहरा होता जा रहा हैअरे अगर सुरेश चिपलूनकर या महफूज़ भाई जैसे लोग पहनते या मैं पहनता तो कुछ तर्क बनता भी!?