यह छोटा सा लफ्ज़: आंसू. दिखने में पानी की एक छोटी सी बूंद है. लेकिन यह अपने अन्दर समंदर की गहरी गहराई रखता है. जिन हालत से गुज़र कर यह किसी रोने वाले की आँख से बहता है वह दर्द वह दुःख वही आँख बयां कर सकती है. औरत की आँख से निकलने वला एक अंशु पत्थर दिल मर्द को मोम कर सकता है. अगर यही आंसू किसी मर्द की आँखों से निकले तो समझ लो कि वह सख्त गम कि अथाह गहराईयों से गुज़र रहा है क्यूंकि मर्द की आँख से सिर्फ उसी वक़्त आंसू निकल सकते है जब वह मुश्किल-तरीन हालात से गुज़र रहा हो ! और जब यही आंसू खुदा के खौफ़ से किसी की आँख से टपकता है तो ऐसे आंसू की कद्र-ओ-कीमत खुदा के नज़दीक बहुत ज़्यादा होती है और हो सकता है कि यही आंसू उसके तमाम पिछले गुनाहों को धो दे ! जब यही आंसू अपने किसी बहुत ही अज़ीज़ की आँखों से निकले तो उसे 'मोती' कहा जाता है और उस आंसू को ज़मीन से गिरने से पहले ही हथेलियों पर उठा लिया जाता है. मगर कुछ आँखे ऐसी भी होती जिनके आंसुओं की कोई कद्र-ओ-कीमत नहीं होती है और उन आँखों को पोछने वाला तक नहीं होता है; कितने बदनसीब होते है वे आंसू जिनकी कोई परवाह नहीं करता है.
आंसू बहाव यह सोच कर नहीं कि हमारी ख्वाहिशे पूरी नहीं होती
बल्कि यह सोच कर रोवो कि हम कितने गुनाहगार है कि
हमारी दुआएं अल्लाह तक नहीं पहुँचती...
-EJAZ AHMAD IDREESI
लारैब: हर बात, हक़ बात
2 पाठकों ने अपनी राय व्यक्त की:
Bahut achha likha hai Ejaz Sahab.... bahut badhiya.... Keep it up!
pichli saari pasts delete nahi kari hai aapne abhhi tak
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